शिवरात्रि का अर्थ है शिव की रातशिवरात्रि का अर्थ शिव की रात। शास्त्र के अनुसार, हर सोमवार का दिन शिव की पूजा के लिए उपयुक्त है। हर महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि शिवरात्रि होती है। फाल्गुन में महीने में वही खास तिथि महाशिवरात्रि हो जाती है इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ थाभगवान शिव जी अपनी बारात लेकर आए थे और माता पार्वती से विवाह कर कैलाश की ओर चले गए और उनका विवाह ब्रह्मदेव ने करवाया था इस विवाह के साक्षी सभी देवी देवता थे
काई लोग शिवरात्रि वाले दिन व्रत रखते हैं, दूध से स्नान करवाते हैं, शिवलिंग का पूजा हवन करते हैं, मंदिरों में काई लोग तो रात को रुद्राभिषेक भी करवाते हैं, हैं और भगवान भोलेनाथ इन्हें मनवांछित फल परदान करते हैं हा काई लोग तो भगवान शंकर को राख भी अर्पित करते हैं मंदिरों में सत्संग भजन सारा दिन होता है शिवरात्रि वाले दिन भजन सारा दिन भजन कीर्तन होता है विशेष बात यह है कि इस दिन भगवान शिव जी को बेर चढ़ाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं
अगर आप भी हैं सब भक्तों और सावन में करते हैं भोलेनाथ की आराधना, तो शिवलिंग में इस तरह चढ़ाएं बेलपत्र. होंगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण. बेलपत्र अर्पित कर भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो उसका सही तरीका भी जान लीजिए.
इस अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और व्रत करने का विधान है। मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का विधिपूर्वक अभिषेक करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और महादेव प्रसन्न होते हैं.
रुद्राभिषेक का अर्थ और महत्व क्या है
रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक यानि भगवान शिव को स्नान कराना. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सभी देवताओं की आत्मा में भगवान सदाशिव रुद्र विराजमान हैं. इनकी पूजा करने से सभी देवों की पूजा हो जाती है. भगवान भोलेनाथ महाकाल हैं, उनकी पूजा से अकाल मृत्यु का संकट भी दूर हो जाता है.